मध्यप्रदेश की राजधानी में जन-सामान्य को प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराने के उद्देश्य से भोपाल की नवाब सुल्तान जहां बेगम (1901-1926) द्वारा किंग एडवर्ड संग्रहालय की स्थापना की गई। इस संग्रहालय का उद्धाटन 11 नवम्बर 1909 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मिण्टो ने किया था। मध्यप्रदेश राज्य के गठन के पश्चात इस संग्रहालय की कलाकृतियां 1958 में राज्य पुरातत्व विभाग को सौंप दी गईं तथा वर्ष 1970 से यह संग्रहालय वर्तमान भवन में संचालित है। इस संग्रहालय में प्रागैतिहास काल व ऐतिहासिक काल के पुरावशेषों के अतिरिक्त उत्खनन सामग्री, पाषाण प्रतिमाएं, कांस्य प्रतिमाएं तथा बाघ गुफाओं के भित्तिचित्रों की प्रतिकृतियां प्रमुख पुरासामग्री हैं। अभिलेखीय सामग्री के अतिरिक्त इस संग्रहालय में भोपाल नवाब द्वारा उपलब्ध कराई गई सामग्रियां भी प्रदर्शित हैं।
इस संग्रहालय में 7 दीर्घायें हैं जिन्हें प्रागैतिहासिक एवं आद्यैतिहासिक दीर्घा, कलाभूति एवं अभिलेखीय दीर्घा, कांस्य प्रतिमा दीर्घा, मुद्रा दीर्घा, शैव एवं शाक्त प्रतिमा दीर्घा, चित्रकला दीर्घा, विविध प्रतिमा दीर्घा के नामों से संयोजित किया गया है।
प्रागैतिहासिक एवं आद्यैतिहासिक दीर्घा में भीम बैठका के चित्रित शैलाश्रय की अनुकृति के साथ-साथ विभिन्न उत्खननों तथा अटूद खास (खंडवा), सारंगपुर (राजगढ़), पिपलिया लोरका (रायसेन), दंगवाड़ा (उज्जैन), रूनिजा (उज्जैन) एवं मंदसौर से प्राप्त पुरासामग्री तथा हड़प्पा मोहन-जोदड़ो, श्रीवस्ती, पवाया (पद्मावती) से प्राप्त सामग्री को प्रदर्शित किया गया है।
कांस्य प्रतिमा दीर्घा में धार जिले के भोपावर ग्राम से प्राप्त जैन तीर्थंकर आदिनाथ, पार्श्वनाथ, सुपार्श्वनाथ, महावीर प्रतिमाओं के साथ-साथ शासन देवी, देवता (यक्ष-यक्षिणी) यथा गोमेध अम्बिका, पद्मावती, मातंग-सिध्दायिका तथा श्रुतदेवी सरस्वती आदि को मुख्य रूप से प्रदर्शित किया गया है। मुद्रा दीर्घा में विभिन्न धातुओं से बनी प्राचीनकाल से लेकर वर्तमान तक प्रचलित भारतीय मुद्राओं को प्रदर्शित किया गया है। अलंकृत कलाकृति एवं अभिलेखीय दीर्घा में भोपाल के नवाबों को समय-समय पर उपहारों में प्राप्त अथवा उनके द्वारा निजी उपयोग के लिए क्रय की गई वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया। दीर्घा के कुछ भाग में रियासत के नवाबों के वंशवृक्ष के साथ-साथ शासनकाल में घटित विभिन्न घटनाओं की जानकारी देने वाले अभिलेख प्रदर्शित किए गए हैं।
प्रतिभादीर्घा में शैव एवं शाक्त सम्प्रदाय से संबंधित प्रदेश की प्रतिनिधि प्रतिमाओं को प्रदर्शित किया गया है। कालक्रम की दृष्टि से ये प्रतिमाएँ 4थी-5वीं शती ई. से 12-13 वीं. शती ई. तक की है।
चित्रकला दीर्घा में प्रदेश की प्रमुख शैलियों के प्रतिनिधि चित्रों तथा देश के अन्य भागों के मूलचित्रों को प्रदर्शित किया गया है। प्रदेश के धार जिले की बाघ गुफाओं के गुप्तकालीन भित्तिचित्रों की अनुकृतियाँ यहाँ प्रमुखता से प्रदर्शित है। अन्य कला चित्रों में राजपूत, कांगड़ा (पहाड़ी), मालवा, मुगलशैली के चित्र प्रमुख हैं।
इसके अतिरिक्त संग्रहालय में एक समृध्द शोध ग्रन्थालय भी स्थित है, जिसमें इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विषय के साथ-साथ अन्य विषयों के ग्रंथों का संग्रह है।