भोपाल देश का दिल कहा जाता है। इस शहर का नाम राजा भोज के नाम पर रखा गया। राजा भोज ने यहां बहने वाली दो नदियों के पानी को रोकने के लिए बांध बनवाया जो अब बड़ा तालाब कहलाता है। भोपाल के आसपास शैलाश्रय एवं प्रागैतिहासिक मानव सभ्यता के सबूत बड़ी तादाद में पाये गये है इन्हें गोंदरमऊ, बिलखिरिया, केरवाडेम, मनुआभान की टेकरी, एम.ए.सी.टी. पहाड़ी, धरमपुरी, जामुनखोह, फिरंगी आदि में देखा जा सकता है।
भोपाल देश का दिल कहा जाता है। इस शहर का नाम राजा भोज के नाम पर रखा गया। राजा भोज ने यहां बहने वाली दो नदियों के पानी को रोकने के लिए बांध बनवाया जो अब बड़ा तालाब कहलाता है। भोपाल के आसपास शैलाश्रय एवं प्रागैतिहासिक मानव सभ्यता के सबूत बहुत बड़ी तादाद में पाये गये है। इन्हें गोंदरमऊ, बिलखिरिया, केरवाडेम, मनुआभान की टेकरी, एम.ए.सी.टी. पहाड़ी, धरमपुरी, जामुनखोह, फिरंगी आदि में देखा जा सकता है।
उस दौर में जब इंसान गुफा, कन्दराओं और धुमंतू जीवन को छोड़कर बस्तियों में रहने लगा और उसने मैदानी क्षेत्र में कृषि करना, सामूहिक जीवन बिताना, बर्तन बनाना, मिट्टी के मकान बनाकर रहना प्रारंभ कर दिया था, के इस सभ्यता के प्रमाण पिपल्यालोरका, गांगाखेड़ी, शहदकराड़, बूधोर आदि स्थानों से मिलते हैं।
ऐतिहासिक काल के मंदिर एवं मूर्तियाँ भी प्रमाणित करती हैं कि यहाँ की गुप्त, प्रतिहार, परमार कालीन स्थापत्य एवं मूर्तिकला भारतीय इतिहास के पटल पर अपनी छाप छोड़ती है। भोजपुर का शिव मंदिर, आशापुरी, विदिशा एवं सलकनपुर क्षेत्र की प्रतिमाएं एवं मंदिर परमारकला के अनुपम उदाहरण है।
वास्तव में जनसामान्य की जानकारी में भोपाल का इतिहास, रियासतकालीन इतिहास के रूप में जाना जाता है। इस काल के प्रथम शासक सरदार दोस्त मोहम्मद खान अफगानिस्तान के नगर खैबर के क्षेत्र तीराह से सन् 1696-97 में उत्तर प्रदेश के लाहोरी जलालाबाद के अफगान अमीर जलालखान के पास आकर रहे और सन् 1715 ई. में उसने जगदीशपुर पर अधिकार किया। उस समय जगदीशपुर का राजपूत शासक देवरा चौहान था। जगदीशपुर का नाम बदलकर उसने इस्लामनगर रखा और 1719 ई. तक सम्पूर्ण भोपाल क्षेत्र अपने अधीन कर लिया। जब यह भू-भाग दोस्त मोहम्मद खान के आधिपत्य में आ गया तब वह कभी कभी बड़े तालाब पर पक्षियों के शिकार के लिए यहां आया करता था। वह इस तालाब और यहां के प्राकृतिक सौंदर्य पर इतना मुग्ध था कि उसने किले (फतेहगढ़) का निर्माण कर यहां की बस्ती को आबाद किया।
दोस्त मोहम्मद खान के बाद नवाब यार मोहम्मद खान, नवाब फैज मोहम्मद खान, नवाब हयात मोहम्मद खान, नवाब गौस मोहम्मद खान, नवाब वजीर मोहम्मद खान, नवाब नजर मोहम्मद खान, नवाब कुदसिया बेगम, नवाब जहांगीर मोहम्मद खान, नवाब सिकन्दर जहांबेगम, नवाब शाहजहां बेगम, नवाब सुल्तान जहां बेगम एवं नवाब हमीदुल्लाह खान ने भोपाल पर क्रमबध्द रूप से शासन किया।
इन सबके ऐतिहासिक काल के प्रमाण हमें भोपाल एवं आसपास के पुरातत्वीय स्थलों से मिलते हैं। प्रसिध्द स्मारक सांची, भीमबैठका, भोजपुर, आशापुरी, इस्लामनगर, समसगढ़, विदिशा आदि धरोहर उस काल के जीवन्त प्रमाण है।